मुंह मीठा कर दिया मीठी शुभकामना भेजने वालों ने
क्या हुआ जो खरीद न सका मैं दीवाली के दिये
घर मेरा रोशन कर दिया पडोसी दियों के उजालों ने
क्या हुआ जो रंग रोगन न कर पाया मै दीवारों मे
धूल सारी हटा दी घर की बरस के बादल कालों न
झूम रहे थे खुशियों मे सब फोड़ फ़टाखे अपने घर
सरहद पर झेली आतिशबाजी देश के वीर लालों ने
बाजारों मे बहता पैसा जब इतनी मंहगाई के बाद
हक कितनों के लील गये भ्रष्टाचार और घोटालों ने
कोई तरसा बताशों को कोई छांट मिठाई खाता है
उपहारों से घर भर दिया अफसरों का दलालों ने
कैसी दीवाली, कैसा उत्सव आधा देश जब भूखा है
मुझको सोने न दिये रात भर मन के इन सवालों ने
सुरेश राय 'सरल'
04-11-2013
(चित्र गूगल से साभार )
बेहद सुन्दर और सामयिक सटीक रचना -बधाई
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
नई पोस्ट आओ हम दीवाली मनाएं!
सादर धन्यवाद ,श्री प्रसाद जी, आपको भी शुभ दीपोत्सव
हटाएंकैसी दीवाली, कैसा उत्सव आधा देश जब भूखा है
जवाब देंहटाएंमुझको सोने न दिये रात भर मन के इन सवालों ने
...वाह! बहुत सटीक अभिव्यक्ति....दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें!
Bahut Bahut aabhar shree Sharma jee, shubh deepotsav
हटाएंइस नवाजिस के लिए दिल से शुक्रिया आपका
जवाब देंहटाएंइस नवाजिस के लिए दिल से शुक्रिया आपका
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबधाई