मान चिंगारी मुझे तुम,हौसलों की हवा देना.
पर बेरुखी की धूल से,मुझको न दबा देना.
आप का अभिनंदन है.आप के आशीष,स्नेह और प्रोत्साहन को टिप्पणी मे प्रकट करने की कृपा करें
पथरा गई सूख के आँखे, घरवाले इतना रोये है
जाने कितने जिगर के टुकडे शय्या मौत की सोये है
फ़सल से काटे गये बंदे , दोनो ही संप्रदाय के
नफरत के बीज़ देश मे ,हुक्मरानों ने ऐसे बोये हैं
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