गुरुवार, 5 सितंबर 2013

व्यंग कविता :- " पेंशन की टेंशन "


पेंशन के पेड़ को सींचा अंशदान से
फल मिलेंगे मीठे इसी अरमान से

सेवानिवृत्ति के बाद मिलेगी हमको पेंशन
तब भी होंगे आत्मनिर्भर, फिर कैसी टेंशन

बुढ़ापे मे भी न रहेगी कोई तंगी
पास पैसा तो तबियत भी चंगी

बेटा रखेगा सदा हमे अपने पास
परिवार मे बने रहेंगे तब भी खास

हो जायेंगे बृद्धआश्रम भी खाली
अपनों संग मनेगी होली दीवाली

बुजुर्ग न होंगे बोझ, न होंगे बेसहारा
पेंशन लगायेगी जीवन नैया किनारा

सुनहरे भविष्य के सपने ,ये हो गये तार तार
शेयर बाज़ार के हवाले करेगी पेंशन ये सरकार

अब आपके सपने भी, बाज़ार पर होंगे निर्भर
हर दिन शेयर की चिंता, जीवन कर देगी दूभर

घौटालों के देश मे हर पल,चिंता यही हमे सताऐगी
जाने कब अखबार मे ,पेंशन घौटाले की खबर आ जाऐगी
सुरS

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें